📰 Delhi News : उर्दू अकादमी में 'दास्तानगोई' की शानदार पेशकश, बच्चों और बड़ों को भावुक कर गई कहानियां 🎭📖


दिल्ली की उर्दू अकादमी में 25 मई, 2025 को एक शानदार दास्तानगोई का आयोजन हुआ जिसमें साहिल शर्मा, पूजा सिंघवी और शादाब खान ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का निर्देशन जाने-माने दास्तानगोई कलाकार और निर्देशक सय्यद साहिल आगा ने किया। उनकी अगुवाई में प्रस्तुत की गई ये कहानियां क्लासिक से मॉडर्न दौर तक के किस्सों को आवाज़ और अभिव्यक्ति के माध्यम से ज़िंदा कर गईं। बच्चों ने विशेष रूप से इस प्रस्तुति में गहरी दिलचस्पी ली और पूरे समय मंत्रमुग्ध रहे। 🎤👦👧

इस कार्यक्रम में पूजा सिंघवी ने सूफी संत और दर्शनशास्त्री बुल्ले शाह की ज़िंदगी और विचारों पर आधारित ‘दास्तान-ए-बुल्ले शाह’ पेश की। बुल्ले शाह को "जनता का कवि" माना जाता है और उनकी कविताएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। पूजा, जो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं, पिछले 5 वर्षों से थिएटर की दुनिया में सक्रिय हैं। उन्होंने टॉलीवुड की फिल्मों, वेब सीरीज, विज्ञापनों में भी अभिनय किया है। मिस एम्प्रेस तेलंगाना का खिताब जीतने के बाद वह कई कैटलॉग शूट्स और ज्वेलरी ब्रांड्स के होर्डिंग्स का चेहरा रही हैं। वह बच्चों की एनिमेशन कहानियों के लिए डबिंग भी करती हैं, जो उन्हें कहानियों की दुनिया से जुड़ने का सुकून देती हैं। 🎬🎙️

साहिल शर्मा ने 'द लास्ट मुग़ल' दास्तान का मंचन किया, जो कि ख्वाजा हसन निजामी की प्रसिद्ध उर्दू किताब 'बेगमात के आँसू' से ली गई थी। यह कहानी 1857 के विद्रोह के बाद मुग़ल दरबार के बचे-खुचे लोगों की पीड़ा को उजागर करती है। कैसे ये शाही परिवार के लोग गरीबी और बेबसी में जीने को मजबूर हुए, यही इस दास्तान का भाव था। साहिल थिएटर में 9 वर्षों से सक्रिय हैं और उन्होंने उत्तराखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय से थिएटर में मास्टर्स तथा श्री राम सेंटर से अभिनय में डिप्लोमा प्राप्त किया है। उन्होंने कई नामी निर्देशकों जैसे के.एस. राजेन्द्रन, सोहैला कपूर, संदीप देसू, और सय्यद साहिल आगा के साथ काम किया है। 🎭📚

शादाब खान ने 'दास्तान-ए-बुज़ुर्ग बेगम' पेश की, जिसमें एक युवा लड़के द्वारा विवाह के लिए उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश को बेहद दिलचस्प अंदाज़ में पेश किया गया। शादाब पिछले 11 वर्षों से थिएटर में सक्रिय हैं और उन्होंने श्री राम सेंटर से अभिनय में डिप्लोमा प्राप्त किया है। उन्होंने SRC रेपर्टरी के साथ 6 वर्षों तक काम किया और 25 से अधिक प्रस्तुतियों में भाग लिया। साथ ही वह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विनोद कापड़ी की डॉक्यूमेंट्री में भी अभिनय कर चुके हैं और आने वाली फीचर फिल्म "Pyre" में भी नज़र आएंगे। 🎥📺

इस आयोजन ने दास्तानगोई की खोती जा रही कला को एक नई ऊर्जा दी और यह साबित किया कि आज भी किस्सागोई की ताकत से दिलों को छुआ जा सकता है। इस तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां न सिर्फ कला को जीवित रखती हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी इसके महत्व से रूबरू कराती हैं। 🌟📚

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FAQs

Q1: What is Dastangoi and why is it significant?
A1: Dastangoi is a 13th-century Urdu oral storytelling art form that uses voice, expression, and imagination to narrate timeless tales. It holds cultural significance as it revives the heritage and keeps classical stories alive.

Q2: Where was the Dastangoi performance held and who directed it?
A2: The performance was held at Urdu Academy, Delhi on 25th May 2025. It was directed by renowned storyteller and director Syed Sahil Agha.


📊 Poll: क्या आपको दास्तानगोई जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्कूलों और कॉलेजों में शामिल करना चाहिए?

  1. हाँ, इससे बच्चों को सांस्कृतिक विरासत की समझ मिलती है।

  2. नहीं, यह अब पुरानी शैली है।

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