दिल्ली में रमज़ान के पाक महीने के अवसर पर अल मुश्किल कुशा खानकाह नेशनल सोसायटी द्वारा एक भव्य रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन ईमान ए बेदारी मुहिम मीटिंग और आल इंडिया मिशन के तहत हुआ, जिसमें सर्वधर्म समाज के लोगों ने शिरकत की। 🌙✨
कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई, इसके बाद मशहूर नातख्वां तौकीर रज़ा और तमजीद कादरी ने अपनी बेहतरीन आवाज़ में नाते-मनकबत पेश की। इस अवसर पर मौलाना शाही बहार ए आलम क़ादरी रज़वी ने रमज़ान की फज़ीलत बताते हुए कहा कि यह महीना इबादत, भाईचारे और जरूरतमंदों की मदद का है। 🤲💞
गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सेवा का संकल्प
सोसायटी की टीम शहर और गांवों में जाकर गरीब, यतीम और बेवाओं की सेवा कर रही है। इस मौके पर मौलाना ने कहा कि लोग अपनी ज़कात, फितरा और सदक़ा को सही जगह दान करें, ताकि यह असली हकदारों तक पहुंचे। उन्होंने अपील की कि पेशेवर भिखारियों से बचकर, जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने में सहयोग करें। 🏡💰
सर्वधर्म समाज का मिला समर्थन
इस कार्यक्रम में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समाज के लोग शामिल हुए। एक साथ रोज़ा खोलने और इफ्तारी करने से समाज में एकता और प्रेम का संदेश दिया गया। मौलाना शाही बहार ए आलम कादरी ने कहा कि यह आयोजन देश की अखंडता और भाईचारे को मजबूत करता है। 🇮🇳❤️
गणमान्य लोगों की मौजूदगी
इफ्तार में शहर के वकील, डॉक्टर, प्रोफेसर, समाजसेवी और शायर भी शामिल हुए। इनमें डॉ. इरफ़ान ह्यूमन, एडवोकेट सुधाकर तिवारी, शायर असग़र यासिर, एडवोकेट गुलिस्तां खान, मोहम्मद फैज़ान इदरीसी, डॉ. जावेद, शायर फ़हीम बिस्मिल समेत कई प्रतिष्ठित लोग मौजूद रहे। 🤝🎤
हैशटैग्स और कीवर्ड्स
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FAQs
Q1: इस इफ्तार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
Ans: इस कार्यक्रम का उद्देश्य भाईचारे और सर्वधर्म एकता को बढ़ावा देना था, साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना।
Q2: क्या इस कार्यक्रम में अन्य धर्मों के लोग भी शामिल हुए?
Ans: हां, इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हुए और एक साथ रोज़ा खोलकर एकता का संदेश दिया।
📊 पोल: आपको क्या लगता है कि ऐसे सर्वधर्म इफ्तार कार्यक्रम समाज में एकता को बढ़ावा देते हैं?
1️⃣ हां, इससे समाज में भाईचारा बढ़ता है
2️⃣ नहीं, इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता
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